
भारत के पूर्वोत्तर भाग में हिमालय और ब्रहमपुत्र के सौंदर्य से
महिमामंडित विस्तृत भूभाग में फैला विभिन्नताओं का प्रदेश,असम है !
एतिहासिक कल में इसे कामरूप के नाम से जाना जाता था । असम का शाब्दिक अर्थ
होता है जिसके समान दूसरा न हो - प्रकृती, संस्कृति और सभ्यता में सही
मायने में भारत में ऐशा कोई दूसरा प्रदेश नहीं है । नारी समानता, जाती समानता और दहेज़ प्रथा जैसे कुरीतियों के क्षेत्र में असम आज शेष भारत के लिए अनुकर्नीये है ।
विभिन्न
प्रजातियों से बने यहाँ के समाज में वह सौमनस्य देखा जाता है जिसे भारत के
परिवेश में आदर्श कहा जायेगा । असम मानव प्रजातियों का एतिहासिक मिलन
स्थल रहा है- मंगोलियाई ,थाई, काकेशी, वर्मी और आस्ट्रेलियाई आदी
प्रजातियाँ यहाँ शदियों से मिलन भाव से रह रही है । इस मेल जोल ने असम के
सामाजिक जीवन के सभी पक्षों को प्रभावित किया फलतः यहाँ एक ऐसी जीवन शैली
का विकाश हुआ जिसपर सम्पूर्ण भारत नाज कर सकता है। इस शैली ने यहाँ के
सांस्कृतिक जीवन को एक अलग पहचान दी ।


असम के सांस्कृतिक प्रतीकों में सिर्फ शिल्प के नमूने ही नहीं प्रकृति के साथ झूमना और गाना भी शामिल है । असमियाँ कलेंडर का पहला मास है बहाग(वैशाख ) इसी मास यहाँ वसंत का शुभागमन होता है । असम का सबसे बड़ा उत्सव रंगाली बिहू इसी मास में मनाया जाता है । मौशम के गरमाते ही इस अंचल के वृक्ष रंग विरंगे फूलों से खिल उठते हैं । प्रकृति के संग यहाँ के लोग भी झुमने गाने लगते हैं । रंगाली बिहू जो खुले मैदान में आयोजित होती है इसमें युवकों- युवतियों का समूह परंपरागत वाद्यंत्र के साथ पुरे जोश में कमोदीप्पक नृत्य बिहू में भाग लेते जो यहाँ की संस्कृती में चार चाँद लगाती है ।



लोक संस्कृती के समृधि के हिसाब से असम बहुत धनी प्रदेश है । किसी संदर्भ में अगर यहाँ परंपराओं का शासन है तो किसी मामले में स्थानीय शिल्प तो कहीं लोककलाओं को अग्रता मिली है । आमतौर पर सभी सांस्कृतिक इकाइयों में बसे प्रतीक पाए जाते हैं जिनसे उन इकाइयों को विशिस्ट सांस्कृतिक पहचान मिलती है पर जिस गंभीरता के साथ असमियाँ समाज अपने सांस्कृतिक प्रतीकों से जुड़ा है वह अन्य समाज के लिए अनुकरणीय है यह प्रतिक ही हैं जिनसे आज का असम अपने आप को अभिव्यक्त कर पाता है ।
अनेक प्रकार के नाकारात्मक आन्दोलन के बावजूद असम आज यदि जागृत है तो इसमें संदेह नहीं की यह जागृति बहुत हद तक इन सांस्कृतिक प्रतीकों के कारण ही है ।