Saturday, September 1, 2012

देश की वर्तमान राजनीती और युवा



 भगवान कृष्ण जो करते थे वो सब राजनीति ही थी। भगवान राम जो करते थे वो भी राजनीति ही थी। महात्मा गांधी,सरदार  वल्लव  भाई  पटेल, सुभाष  चन्द्र  बोस ,  देश को जगाने के लिए राजनीति में  आए थे। राजनीति बुरी चीज नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी की ललक को जिंदा नहीं रखा जा सका। सोचिये क्यों ??? आखिर क्यों युवा राजनीती में आना नहीं चाहता  है ? क्यों हम राजनीती शब्द  से नफरत करने लगे है ??
इसके कई कारण है -----
. राजनीती में परिवारवाद का परचलन |
चुनाव में दौलतमंद का कब्ज़ा |
क्षेत्रवाद, धर्मवाद, जातिवाद आदि का राजनीती में अधिकता |
. अपराधी का राजनीतिकरण या फिर ये कहूँ की राजनीती का अपराधीकरन  |
युवाओं में देशप्रेम की भावना का कमी या फिर ऐसी हालत बनायीं गयी इस देश के युवा को पेट भरने के लिए जिन्दगी भर सोचना परता है |
उद्योगपतियों द्वारा खाश खाश परिवारों को राजनीती में बित्तिये सहायता |
 ७.
देश के युवाओं को अगर स्वराज के निर्माण में हिस्सेदार बनाया गया  होता तो ये दूरी नहीं होती।
आज से 40 साल पहले देश का जो नेतृत्व उभर कर आया वो या तो स्वतंत्रता संग्रामी थे या फिर कला से जुड़े लोग थे लेकिन धीरे धीरे परिवारों से, जातियों से , बंदूक की नोक से नेता पैदा होने लगे और युवा तथा समाज के पदेलिखे देशभक्त  लोग इससे दूरियां बनाने लगे  जो कालांतर में नफरत में पैदा हो गया और नफरत बढता ही जा रहा है | 

यह बुराइयां आई हैं और इन्हें दूर करने के लिए युवाओं को नेतृत्व में आना ही होगा। मैं स्वयं बहुत सी सामान्य परिवार से आता हूं। मेरे परिवार में कोई राजनीति का "र" भी नहीं जानता है  लेकिन मैं हिम्मत के साथ समाज के लिए कुछ करने के लिए निकल पड़ा हूं। राजनीति बहुत ही निर्णायक पोजीशन पर होती है। मैं युवाओं को निमंत्रण देता हूं कि राजनीति में आईये  हम  स्वागत करते है देश के ६५ करोड़ युवा विचारों का जो नौकर,सेल्समैन और दलाल बनकर उद्योगपतियों के लिए कम करते है | आप अपनी उर्जा कब तक दुसरे के लिए खर्च करते रहेंगे, कब तक अमेरिका के लिए सॉफ्टवेर बनाते रहेंगे, कब तक गुलामी की व्यवस्था में जीते रहेंगे हालत ये है की युवाओं को इंजीनियरिंग करने के वाद कॉल सेंटर, पिज्जाहट में नौकरी  करना परता है बहुत दुःख होता है यह सुनकर  व्यवस्था के खिलाप मन में विद्रोह आता है यही विद्रोह ने युवा लोकतान्त्रिक मोर्चा का जन्म दिया | पुरे देश में युवाओं का एक मात्र राजनीतिक मंच पर मै पुनः आपका स्वागत करता हूँ आप हमसे जुड़ें  और एक नई राजनीतिक इबादत लिखने को तैयार हो जाएँ  देश को आपकी जरूरत है मान भारती आपको पुकार रही है |

वतन का फिक्र कर ए नादां मुशीवत आने वाली है,
तेरे वर्वादियों के मश्वरें है आसमानों में ,
न समझोगे ! तो मिट जाओगे ए हिन्दोस्तां वालों
तेरी दास्ताँ भी न होगी दास्तानों में ||

युवा साथियों कुछ बनने के सपने देखने के लिए राजनीति में नहीं आना चाहिए बल्कि कुछ करने के मकसद से राजनीति में आना चाहिए आप कुछ करने के उद्देश्य से आएंगे तो कुछ बन भी जाएंगे। राजनीति मक्खन पर लकीर करने वाला खेल नहीं हैं यह पत्थर पर लकीर करने वाला खेल है और पत्थर पर लकीर देश के युवा खीचेंगे।  मेरा पूरा विश्वाश है कब तक मुह छिपाते रहोगे वीर भरत के सपूतों कब तक गली देते रहोगे इन नेताओं को जिसने अपनी  माँ तक को बेच दिया  |


कर्णधार तू बना तो हाथ में लगाम ले
क्रांति को सफल बना नसीब का न नाम ले
भेद सर उठा रहा मनुष्य को मिटा रहा
गिर रहा समाज आज बाजुओं में थाम ले
त्याग का न दाम ले
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले
यह स्वतन्त्रता नहीं कि एक तो अमीर हो
दूसरा मनुष्य तो रहे मगर फकीर हो
न्याय हो तो आरपार एक ही लकीर हो
वर्ग की तनातनी न मानती है चांदनी
चांदनी लिये चला तो घूम हर मुकाम ले
त्याग का न दाम ले
दे बदल नसीब तो गरीब का सलाम ले
देश के युवा साथियों  आगे बड़ो और लगाम अपने हाथ में लो ताकि गरीब की रोटी उसके थाली तक पहूच सके |
जय हिंद , जय भारत  |